Friday, 31 July 2020

सफेद लिबास में फरिश्ते

वह सफेद कुछ अजीब सा लिबास
न चेहरा दिख रहा था न और कुछ
बस एक कवच के पीछे दो झांकती ऑखे
ऊपर से नीचे तक
यहाँ तक कि पैरों में भी प्लास्टिक का
ऐसा रूप पहले तो नहीं कभी देखा
फिल्मो में भूतों का अजीब सा लिबास सफेद
उसी से मिलता जुलता
पर ये सब इंसान हैं

सबके सब एक जैसे
कौन डाॅक्टर
कौन नर्स
कौन वार्ड ब्वाय
कौन सफाई कर्मचारी
सब एक ही लिबास में
आते और अपना काम कर जातें

पहचानना मुश्किल
बस आवाज सुनाई देती
चेहरे पर तो प्लास्टिक का आवरण
डाॅक्टर आते राउंड पर
नर्स न जाने कितनी बार आती
कभी सलाइन
कभी इंजेक्शन
कभी बी पी और शुगर नापने
रूम सफाई वाले
खाना देने वाले
सब काम पर लगे हुए

अच्छा हो जाएंगे
घर भी वापस जाएंगे
सुनकर सांत्वना मिलती
सफेद लिबास में जैसे फरिश्ते
ईश्वर तो नीचे नहीं आ सकते
तो मानों जैसे इनको भेज दिया हो
जब पास आने की मनाही हो
तब यह अपनी जान की परवाह किए बिना
तैनात है लोगों की जान बचाने में

जितना इनका आभार माने
वह कम है
आज हम घर पर हैं
अपनों के बीच
इनके प्रयत्नो के कारण
ईश्वर नहीं पर
ईश्वर के दूत अवश्य हैं
तभी दिन रात एक कर
मानवता की सेवा कर रहे हैं
अपना कर्तव्य निभाए जा रहे हैं

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