सांप सीढ़ी का खेल चल रहा है
आज जिंदगी कभी
आशा में तो कभी मायूसी में
सब कुछ बदला बदला सा
कभी लगता है
अब सब कुछ ठीक
दूसरे ही पल कोई दस्तक
अब लाकडाऊन हटेगा
सब प्लान ही बना रहे थे
फिर लग गया
सब धरा का धरा रह गया
फिर घोषणा
अबकी बार
फिर वही घोषणा
दिन पर दिन बीत रहे हैं
वह आगे बढता जा रहा है
कभी खुल जा रहा है
फिर पता चला बंद
और रिस्ट्रक्शन
कभी पहला चरण
कभी दूसरा चरण
कभी तीसरा
फिर आया अनलाॅक का दौर
वह तो और भी नए मापदंड के साथ
सब असमंजस में
कब यह खेल खत्म हो
जीवन फिर पटरी पर आए
कब इसको हराए
कब इससे मुक्ति का झंडा फहराए
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Friday, 3 July 2020
सांप सीढ़ी के इस खेल से कब मुक्ति
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