आ गया वह दिन
जश्ने-आज़ादी का दिन
हर साल यह आता है
कुछ नया नहीं है
जोश और उत्साह बढ जाता है
यह महसूस होता है
हम आजाद हैं
हाँ इस बार कुछ बदला बदला सा है
हम घर में बैठे हैं
वह पहले जैसी बात नहीं
वह चहल पहल नहीं
डर ने घेरा है
कब तक यह मंजर
कोई खबर नहीं
फिर भी सुकून है
हम अपने आजाद देश में है
घर में हैं जेल में नहीं
स्वतन्त्र हैं गुलाम नहीं
कुछ पाबंदी है
कुछ नियम कानून है
वह भी हमारी सुरक्षा हेतु
तय हमें करना है
कब क्या और कैसे करना है
मास्क पहनना
सोशल डीशस्टिंग का पालन करना
हाथ धोना
बिना कारण घर से बाहर न निकलना
आज यह हालात है
हमेशा नहीं रहेंगे
जश्ने-आज़ादी तो मनेगी
मन में
घर में
देश में
बस इस साल कुछ अलग
आजादी तो आजादी है
वह तो हमारी है
कैसा भी समय
कोई भी काल
तिरंगा का शान कभी न होगा कम
No comments:
Post a Comment