Saturday, 12 September 2020

खुश रहो

हमें कमजोर मत समझो
हमें भी उत्तर देना आता है
यह अलग बात है
हम चाहते नहीं
किसी का दिल दुखाना
किसी की उपेक्षा करना
किसी पर व्यंग्य कसना
किसी को नीचा दिखाना
किसको फर्क पडता हो या न हो
हमें पडता है
हमारा अंतर्मन कचोटता है
दिल अशांत हो जाता है
पछतावा होता है
दिल को सुकून नहीं मिलता
इसलिए तो चुप रहते हैं
दो दिन की जिंदगी
कब उड जाए
यह तो किसी को नहीं पता
फिर इन सबसे क्या फायदा
खुश रहो और रहने दो

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