सब कुछ है
तब भी खुश नहीं
आखिर ऐसा क्यों होता है
आदमी स्वयं से नाराज रहता है
खुशियाँ जमाने में तलाशता है
जमाना है कि खुश रहने देता नहीं
हर चाल को उल्टा बताता है
हर राह में रोड़े अटकाता है
हर बात में मीन मेख निकालता है
उसका अगर सुन लिया
तब तो खुशी आपसे कोसों दूर
अपने मन की सुने
अपनी दिल की सुने
आपका दिल जो चाहता है
वह करें
अपने लिए भी जीए
खुलकर हंसते रहिए
गम को दूर भगाओ
गमगीन होकर क्या हासिल
सहानुभूति
ऐसी सहानुभूति को ठेंगा
ऐसा करो लोग देखे
ईर्ष्या करें करने दो
आप खुश रहो
यह अधिकार है आपका
किसी की बातों से
किसी के कारण छोड़ना
यह तो आप अपना ही अपमान कर रहें हैं
जिंदगी को शर्मसार कर रहे हैं
गर्व से सर उठा कर चलें
अपने आप में खुश रहें
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Tuesday, 29 September 2020
अपने आप में खुश रहें
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