Monday, 2 November 2020

बाबा का ढाबा

बाबा , बाबा , बाबा
कल तक नहीं था तेरा ठिकाना
खाना बेचता था और करता था गुजरा
ठेला तेरा पडा रहता था सुनसान
लाॅकडाउन में तो हर किसी का था बुरा हाल
आ गई किसी को दया
वीडियो तेरा बना लिया
घर घर तक पहुंचा दिया
तेरे बीस रूपये खाने को ब्रांडेड बना दिया
लोगों का हुजूम लगने लगा
तू सेलीब्रिटी बन गया
मीडियाकर्मियों की भीड लगने लगी
हर किसी का दिल तेरे साथ सेल्फी खिंचलाने को मचलने लगा
रातोरात तू प्रसिद्ध हो गया
कपडे से लेकर लाइफस्टाइल सब चेंज
तेरे ठेले का नया अवतरण हो गया
अब नया रूप और चमचम
पंखे की हवा लेने लगा
तभी तेरे दिमाग में गर्मी चढ गई
पैसा देख बौखलाया
अपने असली रूप में आया
जिसने तुझे इस मुकाम पर पहुंचाया
उसी के खिलाफ थाने में रपट कराई
उस पर इल्जाम लगाया
मुफ्त का पैसा सर चढकर बोलने लगा
क्या करेंगा इस बुढापे में
इतनी लालच कर
दान मिला तो बांट
जिसने तुझे इस मुकाम पर पहुंचाया
अगर उसने भी कुछ ले ही लिया होगा
तो तेरा क्या गया
तेरी मेहनत का तो था नहीं
इतना हिसाब-किताब रखने लगा
तूने तो जिस थाली में खाया उसी में छेद किया
अब तो लोग मदद से भी डरेगे
वीडियो तो बनाया और तुझे इस हाल में पहुँचाया
तुझे नामचीन बना दिया
तू इस लायक ही नहीं
तेरा ढाबा तुझे मुबारक
कुछ दिन और गुजरने दे
कोई झाँकेगा भी नहीं
ऐसे विश्वासघाती की मदद
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना
कहते हैं न गली के कुत्ते को भटकन ही रास आती
वही हाल है तेरा
तू है कमाल का बाबा और तेरा ढाबा
वह तो रह जाएंगा डब्बा
ऑसू बहाएगा पर किसी को दया नहीं आएगी
सब लोग एक जैसे नहीं होते
एक रानू मंडल
दूसरा कांताप्रसाद
तुम्हारी औकात बस कुछ क्षण के लिए
तब रानू गाएँ
तू रोटी बेच
अपना रो रोकर गुजरा कर
यह है किस्मत का खेल

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