मैं तो प्रेम दीवानी
मेरा दर्द न जाने कोय
प्रेम का एक ही रंग होता है
वह जब चढता है
तब धर्म , जात ,ओहदा , संपत्ति
यह सब नहीं देखता
वह तो अपनी ऑखों से भी नहीं देखता
न अपने मन से
न विचार न सोच
क्योंकि रह सोच समझकर नहीं होता
वह तो बस अपने प्रियतम की ऑखों से देखता है
सोचता है , करता है
तभी तो कहा जाता है
प्रेम अंधा होता है
बडे बडे तख्त और ताज लोगों ने छोड़ दिया है
अपने और अपने परिजनों को
केवल एक व्यक्ति के कारण
बडी बडी लडाई और झगड़े हुए हैं
कत्ल और मर्डर
यह इज्जत और प्रतिष्ठा का प्रश्न भी
आज लव जिहाद पर चर्चा शुरू
कानून लाने जा रही है सरकार
क्या कानून लाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है
अब कोई प्रेम नहीं करेंगा क्या ??
बहुत से लोगों ने ऐसे विवाह किया है
प्रतिष्ठित और सेलिब्रिटी ने भी
साधारण लोग भी
आज वे लोग खुश है
कुछ लोगों के साथ अच्छा भी नहीं हुआ है
वे पीडित हैं
पर यह तो किसी के भी साथ हो सकता है
अपने धर्म और जाति में भी
रही बात धोखा देनेवाली
नाम बदलकर विवाह करना
विवाह के लिए धर्म परिवर्तन
जबरन दवाब डालना
यह तो गलत है
प्रेम तो स्वतंत्र होता है
उस पर बंदिश नहीं लगाई जा सकती
तब तो वह प्रेम हुआ ही नहीं
प्रेम में तो समर्पण होता है
त्याग होता है
बदला लेने की भावना नहीं
जबरदस्ती नहीं
धोखा नहीं
अगर यह हो रहा है तब तो
लव जिहाद का स्वागत है
No comments:
Post a Comment