Thursday, 31 December 2020

स्वागत है आपका 2021

कुछ नई आशा
कुछ नये सपने
कुछ नई उमंगें
मन में है समाई
बीता सो बीता
उसकी क्या कहें
वह तो नजरबंदी थी
अब तो मुक्त हो

बहुत रुलाया
बहुत सताया
बहुतों के घर - संसार उजाड़े
बहुतों की जिंदगियां छिनी
नौकरी - कारोबार छुड़वाया
घर पर बेकार बिठलाया
तब भी कोई बात नहीं
जो हुआ सो हुआ

आज भी खुदा की नियामत है
सांसें सही - सलामत है
उसी की मेहरबानी है
आज भी जिंदगी हमारी है
है अपनों के बीच
यही क्या है कम

आते रहते हैं झंझावात
वह भी गुजर जाता है
नया दौर शुरू होता है
बीता कल को याद करें या न करें
आने वाले कल का स्वागत करें
ईश्वर का शुक्रिया अदा करें
हमारी सांस हमारे साथ है
जब तक सांस तब तक आस
यही फलसफा समझाना और समझना है
फिर उठ कर चलना है
वक्त के साथ - साथ
सांसों की डोर को कस कर पकड़ रखना है
हर जतन करना है
बाकी सब ऊपरवाले पर छोड़ देना है

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