Tuesday, 1 December 2020

होता है अक्सर

होता है अक्सर
बिना कारण मन उदास
मन विचलित सा
किसी काम में मन नहीं लगना
न हंसना न खिलखिलाना
बस ऑखों में ऑसू
यह किस वजह
यह भी समझ नहीं आता
भावनाओं का उछाल मन में हिलोरे मारता है
मन अतीत में झांकता है
बार बार टीसता है
आज तो सब कुछ ठीकठाक है
फिर यह उद्विग्नता क्यों ?
बीत गई सो बात गई
यह इतना आसान नहीं होता
कहना और सहना
बहुत फर्क होता है
जीवन के थपेडे
बीच-बीच में दस्तक देते रहते हैं
याद दिलाते रहते हैं
यह आज जो है
उसी अतीत का परिणाम है
मन कल में विचरण करना नहीं छोड़ता
यादों की बारात लेकर हम साथ साथ चलते हैं
खट्टी , मीठी , कडवी
कुछ तो भयावह
जिससे उबरने में ताउम्र लग जाता है
कभी-कभी साथ में ही जाता है
छुटकारा नहीं मिलता
कोशिश भले कितनी भी कर ले
तभी रह रह कर उदासी का आलम
ऑखों में ऑसू आ ही जाते हैं
कुछ बीता याद दिला जाते हैं

No comments:

Post a Comment