Wednesday, 2 December 2020

उम्मीद ही तो है

उम्मीद ही तो है
जो आज तक चला रही है
आस जगाए हुए है
आज नहीं तो कल
सब ठीक हो जाएगा
अपने भी दिन आएंगे
जिंदगी को जीना सीखा रही है
यह उम्मीद की किरण
बांध कर रखती है
कुछ करवाना चाहती है
इसका दामन पकड़ लिया
तब तो यह नैया पार लगा ही देगी
बंजर को भी उपजाऊ
पत्थर में भी फूल
चट्टान में भी झरने का स्रोत
यह निराश नहीं होने देती
अगर उम्मीद ही न बचें
तो जीने का रास्ता ही खत्म
जीवन डगर पर उम्मीद
यह हौसला देती है
कसकर पकड़ कर रखती है
निराशा के अंधेरे में प्रकाश
गम और उदासी में खुशी
जब सब खत्म हो
तब भी अगर उम्मीद है बाकी
तब जिंदगी कट जाएंगी सारी

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