अब बात बात में वह बात नहीं रही
एक समय था
जब बातों बातों में जीवनदर्शन बता दिया जाता था
बहुत कुछ सिखा दिया जाता था
आज तो बात की भी डिमांड है
जो कुछ बोलना है
चाशनी में चुपडा हुआ
तब तक ठीक है
जहाँ असलियत दिखाई
दुश्मनी की शुरुआत हुई
बात तो एक सामान्य नागरिक की
वह सफाई कर्मचारी ठहरा
कभी-कभी पत्नी भी साथ आ जाती
एक माताजी बहुत मानती थी
कभी-कभी कुछ दे भी देती थी
खुश रहते थे
प्रणाम कर आशीर्वाद भी लेते थे
माता जी ठहरी ईश्वरभक्त
पूरे मन से आशीर्वाद देती
एक दिन गजब हो गया
माता जी ने सलाह दे डाली
पत्नी को बोलो
इतना तंबाकू मत खाया करें
जानलेवा हो जाता है
फिर तो गजब हो गया
बहुत बुरा लग गया
उनके घर पर भी शिकायत कर दी
यही तो बात है
बात बात में बात लग गई
सलाह क्या दी
अब सलाम भी नहीं
यह भी एक सवाल छोड़ गया
बात करना है तो चिकनी चुपड़ी
अन्यथा बेबात की नहीं
और बेबाक तो कदापि नहीं
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