Wednesday, 30 December 2020

मैं बस माँ हूँ

जब तक मैं हूँ
तब तक ऑच न आने दूंगी
मैं आगे-आगे चलूँ
तू पीछे - पीछे चल
तुझ पर आने से पहले हर पीडा हर लूंगी
अपने ऑचल में समा लूंगी
मैं माॅ हूँ न
अपनी संतान का साथ नहीं छोड़ सकती
उसे वीराने में भटकने नहीं दे सकती
हर तूफान का सामना करूँगी
उस पर किसी का बुरे साया न पडने दूंगी
जो करना पडे वह सब करूँगी
खुद कीचड़ में रहूँ
तुझे कमल बना रखूगी
तुझे खिलता देखना
महकता देखना
मुस्कराता देखना
यही मेरी इच्छा और आंकाक्षा
अपनी इच्छा तो पीछे रह गई
जब तुझे जन्म दिया
मैं औरत से माँ बन गई
अपना व्यक्तित्व तुझ में समाहित कर लिया
मैं , मैं न रहकर बस माँ रह गई

No comments:

Post a Comment