जब तक मैं हूँ
तब तक ऑच न आने दूंगी
मैं आगे-आगे चलूँ
तू पीछे - पीछे चल
तुझ पर आने से पहले हर पीडा हर लूंगी
अपने ऑचल में समा लूंगी
मैं माॅ हूँ न
अपनी संतान का साथ नहीं छोड़ सकती
उसे वीराने में भटकने नहीं दे सकती
हर तूफान का सामना करूँगी
उस पर किसी का बुरे साया न पडने दूंगी
जो करना पडे वह सब करूँगी
खुद कीचड़ में रहूँ
तुझे कमल बना रखूगी
तुझे खिलता देखना
महकता देखना
मुस्कराता देखना
यही मेरी इच्छा और आंकाक्षा
अपनी इच्छा तो पीछे रह गई
जब तुझे जन्म दिया
मैं औरत से माँ बन गई
अपना व्यक्तित्व तुझ में समाहित कर लिया
मैं , मैं न रहकर बस माँ रह गई
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 30 December 2020
मैं बस माँ हूँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment