मैं वृक्ष नहीं हूँ
जो मुझ पर पत्थर फेंको
बदले में फल और फूल दूं
मैं सामान्य इंसान हूँ
महान नहीं हूँ
जैसा करोगे वैसा पाओगे
आओ मेरी छाया में बैठो
मैं दिल खोलकर दूंगा
उसमें कोताही नहीं
मेरे साथ हंसो
बतियाओ
वह सब ठीक है
जहाँ मुझ पर थूकने की कोशिश की
तब मैं उनमें से नहीं
जो पोंछ दूंगा
गंदगी बर्दाश्त नहीं
कांटे के बदले फूल
यह तो भूल ही जाओ
कांटे के बदले कांटे ही
चुभाने के पहले सोच लेना
कहीं बाद में पछताना न पडे
मैं वृक्ष नहीं हूँ
न मैं महान हूँ
बस साधारण इंसान हूँ ।
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Friday, 18 December 2020
मैं वृक्ष नहीं हूँ
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