Friday, 25 December 2020

अटल बिहारी वाजपेयी

आज एक राजनेता का जन्मदिन है
आज एक कवि का भी जन्मदिन है
दोनों एक ही व्यक्ति है
कौन किस पर भारी
यह बताना जरा मुश्किल
समझ गए होंगे
आज अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन
राजनीति के शुष्क रेगिस्तान में कविता का सुर
जब ऑख बंद कर हाथ हिला हिलाकर बोलते थे
तब सुनने वाले भी झूम उठते थे
समझने का प्रयास करते थे
आखिर यह कवि कहना क्या चाह रहा है
अंदर गहराई में उतरना पडता था
भाषा पर प्रभुत्व
भाषण देने की कला में माहिर
लेखनी भी लाजवाब
एक राजनीति का छलबल
कभी-कभी इस कवि को रास नहीं आता था
पर प्रेम तो राजनीति से प्रगाढ़ था
कविता उनका शौक थी
राजनीति उनका धर्म और कर्म थी
दीपक से लेकर कमल खिलाने की यात्रा
इतनी आसान नहीं थी
सत्ता पक्ष का मुंह अकेले बंद कर देना
राजनीति का माहिर खिलाडी
जब कविता उछाल मारती थी
तब वह भी बाहर आती थी
एक शासक और एक कवि
बडा विरोधाभास है
फिर भी वाजपेयी जी तो वाजपेयी जी थे
अटल और धुन के पक्के
   क्या हार में क्या जीत में
    किंचित नहीं भयभीत मैं
    कर्तव्य पथ पर जो मिला
        यह भी सही
            वह भी सही

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