Tuesday, 22 December 2020

जीवन चलता है सपाट

यह सुबह-सुबह की खटपट
हर काम हो फटाफट
निकलना है झटपट
करते जीवन हो जाता सपाट

रात की नींद
देखे हुए सपने
सब हो जाती हवा हवा
जब होता भागम-भाग

भाग रहे हैं
दौड़ रहे हैं
गिर पड रहे हैं
उठ रहे हैं

सुस्ताने का समय नहीं
आराम फरमाने
हंसने - बतियाने
दो घडी सांस लेने की फुर्सत नहीं
हर रोज यही होता है
सुबह होती है
शाम होती है
दिन ढलता है
अगली सुबह फिर सूरज उगता है
रात के सपने मुरझा जाते हैं

सुबह शुरू हो जाती है
खटपट खटपट
फटाफट फटाफट
झटपट झटपट
जीवन चलता है सपाट

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