Wednesday, 2 December 2020

मैं , मैं न रहा

मैं बेटा हूँ
वंश को आगे बढ़ाने वाला हूँ
मुझसे अपार उम्मीदे
खानदान का चिराग
इकलौता वारिस
यह सब सुनते सुनते बडा हुआ
सबकी इच्छा सर्वोपरि
मेरी अपेक्षा
मेरी आंकाक्षा
इससे किसी को लेना देना नहीं
मेरी इच्छा मारकर - दबाकर
रखना है
क्योंकि मैं बेटा हूँ
सपने देखने का हक नहीं
दूसरों के सपनों को पूरा करना है
उन्हें साकार करना है
बुढापे की लाठी बनना है
भले मेरे स्वयं के पैर लडखडा रहे हो
माता-पिता के प्रति कर्तव्य
बहन - बुआ के प्रति कर्तव्य
चाचा , ताऊ ,मामा , मौसा
न जाने कितने रिश्तेदार
सबके प्रति कर्तव्य
इन कर्तव्यों के बोझ से दबा
मैं एक आम इंसान हूँ
मेरा भी दिल धडकता है
सबकी दिली ख्वाईश
मेरी तो सबमें समाई
मेरी जिंदगी कर्ज के बोझ तले दबी
सबका कर्ज उतारते
फर्ज अदा करते
मैं मैं न रहा

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