Monday, 28 December 2020

ईश्वर का सहारा

दो पहर बीत गया
तीसरा चल रहा है
दो कैसे बीते
पता नहीं चला
बाधा आई
पार हुई
जोश - खरोश था
उमंग - उत्साह था
सहनशीलता - धीरता थी
अब तीसरे में धीरे-धीरे सब ढल रहा है
पहले जहाँ निडर
अब वही डर रहा है
चिंता है चौथे पहर की
अभी तो ढलान शुरू हुई
आगे का क्या ?
कैसा रहेगा
कैसे बीतेगा
किसके सहारे
सब क्षीण हो रहा है
सारी शक्ति
देह और मन
इसमें उलझा है सब
जिनके लिए किया जतन सारा
वही हो गए बेगाने
अपने मे हुए मशगूल
जिनके लिए थे कभी पल - पल हम मजबूर
पालन - पोषण , शिक्षा - दीक्षा
अपने को भूल इसी में लगे रहे हम
वही छोड़ गए हमें
अब तो है उसका ही भरोसा
अंत समय में वही याद आता है हमेशा
बस ईश्वर का ही है सहारा

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