हंसना नाटक
रोना नाटक
बतियाना नाटक
प्यार नाटक
जग ही नाटक
हम पात्र हैं
हम सब नाच रहे हैं
कभी अभिनय करते हैं
कभी स्वाभाविक हो जाता है
बिना करें बिना कहें
रंगमंच के हम खिलाडी
क्या सचमुच हैं अनाड़ी
हम नहीं जानते
क्या कर रहे हैं
या जान बूझकर अंजान बन रहे हैं
हर तरह के पात्रो से पटी पडी है दुनिया
जो चाहे ढूंढ लो
असली भी नकली भी
गजब का बनावटी भी
जीवन के रंगमंच पर
हर किरदार निराले हैं
यहाँ तो हर बात लगती नाटक है
जग ही नाटक है
अपने किरदार पर डालकर परदा
हर शख्स कह रहा है
जमाना खराब है
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Thursday, 24 December 2020
जग ही नाटक है
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