Thursday, 24 December 2020

जग ही नाटक है

हंसना नाटक
रोना नाटक
बतियाना नाटक
प्यार  नाटक
जग ही नाटक
हम पात्र हैं
हम सब नाच रहे हैं
कभी अभिनय करते हैं
कभी स्वाभाविक हो जाता है
बिना करें बिना कहें
रंगमंच के हम खिलाडी
क्या सचमुच हैं अनाड़ी
हम नहीं जानते
क्या कर रहे हैं
या जान बूझकर अंजान बन रहे हैं
हर तरह के पात्रो से पटी पडी है दुनिया
जो चाहे ढूंढ लो
असली भी नकली भी
गजब का बनावटी भी
जीवन के रंगमंच पर
हर किरदार निराले हैं
यहाँ तो हर बात लगती नाटक है
जग ही नाटक है
अपने किरदार पर डालकर परदा
           हर शख्स कह रहा है
                   जमाना खराब है

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