Saturday, 5 December 2020

फूल तू नहीं जानता ??

फूल तू इतना नाजुक और कोमल
फिर भी कैसे
इन आंधियाँ - तूफानो का सामना करता है
कांटो की चुभन को सहता है
हर ललचाई नजरों का सामना करता है
मालूम है डर भी है
कोई तोड़ न ले
डाली से अलग न कर दे

हश्र क्या होगा
किसी देवता के चरणों में
किसी के गजरे की शोभा
किसी के दरवाजे का तोरण हार
किसी के गले का हार
किसी के हाथ में मसलना
किसी के पैरों तले कुचलना
किसी के गले का हार

फिर भी मुस्कराता है
अपनी ओर आकर्षित करता है
नेत्रसुख देता है
मन को प्रसन्न करता है
भरपूर खिलता है
कौन तोड़ेगा
क्या होगा
कितने दिन की जिंदगी
इन सबसे अंजान
तू नादान
बस अपना कर्म करता जाता है

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