हर लम्हा जी लो
आज हो या कल
उसे अपना बना लो
जी भर कर जी लो
हो सकता है यह
लौट के फिर न आएं
हो सकता है
इससे ज्यादा बेहतर आए
उससे तो अंजान हैं
आज का पल तो साथ है
उसके साथ जीना आसान है
मलाल न रह जाएं कहीं
अगर ऐसा होता तो
यह सोचे
क्या दिन थे वो
क्या लोग
क्या हम
क्या समां
इन सबको बांध कर
समेट कर रख लो
ताकि जब याद आएं
तब मन के किसी कोने में जाकर
उन लम्हों से रूबरू कर लें
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Tuesday, 19 January 2021
लम्हों से रूबरू
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