Tuesday, 19 January 2021

लम्हों से रूबरू

हर लम्हा जी लो
आज हो या कल
उसे अपना बना लो
जी भर कर जी लो
हो सकता है यह
लौट के फिर न आएं
हो सकता है
इससे ज्यादा बेहतर आए
उससे तो अंजान हैं
आज का पल तो साथ है
उसके साथ जीना आसान है
मलाल न रह जाएं कहीं
अगर ऐसा होता तो
यह सोचे
क्या दिन थे वो
क्या लोग
क्या हम
क्या समां
इन सबको बांध कर
समेट कर रख लो
ताकि जब याद आएं
तब मन के किसी कोने में जाकर
उन लम्हों से रूबरू कर लें

No comments:

Post a Comment