Saturday, 30 January 2021

बात वही खत्म हो गई

कल जो था वैसा आज नहीं
वह बातें जो कल तक अच्छी लगती थी
आज न जाने क्यों चुभती है
मन को अंदर तक टीसती है
माना कि बात सही है
फिर भी कब तक सुना जाए
सुनते सुनते थक गए
वही वही सुनते सुनते पक गए
हर चीज की एक सीमा होती है
बातों की भी तो हो
जब बात बात न लगे
बोझ लगने लगें
तब उन बातों को छोड़कर आगे बढ जाना है
कब तक पुरानी केंचुली में लिपटा रहेगा
कभी न कभी तो उतार फेंकना है
नहीं तो उसमें से संडाध आने लगेंगी
बातों को भी छोड देना है
जो हुआ सो हुआ
जो घटा सो घटा
घटना घट गई
बात वही खत्म हो गई

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