Wednesday, 27 January 2021

वे किसान ही थे ???

यह जो हुआ वह तो ठीक नहीं हुआ
हमारे किसान ऐसे कैसे हो गए
हल चलाने वाले के हाथ में हथियार
शोभा नहीं देता
पेट भरने वाला जीवन दान देता है
जीवन लेता नहीं है
जय जवान जय किसान
यही हमारे गौरव हैं
तिरंगा  सबकी आन बान शान
उसकी जगह कोई और नहीं ले सकता
उसका अपमान सबका अपमान
तोड़फोड़ , आगजनी , उपद्रव
यह किसान का काम नहीं
मिट्टी को सोना बनाना
निर्माण करता
विनाश कर्ता नहीं
ट्रेक्टरधारी टेररिस्ट बन गया
इतिहास में शायद यह पहली घटना होगी
अपने ही ऊपर कालिख पोत ली
अब सम्मान नहीं निंदा के पात्र
आदरणीय से निंदनीय बनना
पूरा विश्व देख रहा था
मीडिया के माध्यम से
नहीं तो विश्वास नहीं होता
कानून सर्वोपरि है
उससे ऊपर कोई नहीं
धीरज रखने वाला
धीरज कैसे खो बैठा
मौसम की मार सहता है
ऑधी तूफान अकाल और बाढ का सामना करता है
प्रकृति के आगे सर झुकाता है
संदेह होता है
वाकई जो हुआ दिल्ली में
लाल किले के प्रांगण में
वे किसान ही थे ??

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