हर दिन एक नया अध्याय
जब तक समझे
तब तक दूसरे के पन्ने खुल जाते हैं
सब गडबड हो जाता है
एक - दूसरे में मिल जाते हैं
समझ नहीं आता
कौन कहाँ से शुरू
खत्म होने का तो सवाल ही नहीं उठता
रामायण और महाभारत
इस जिंदगी के अध्याय के सामने कुछ भी नहीं है
उनको तो पढकर पूरा कर लिया जाता है
यहाँ तो वक्त की तेज रफ्तार चलती है
हम भागते भागते भी न पूरा कर पाते हैं
कुछ छूटा
कुछ अधूरा रह ही जाता है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 7 February 2021
कहीं कुछ अधूरा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment