जिस बात को जितना भूलना चाहो
वह घुमड घुमडकर घर ही कर लेता है
मन - मस्तिष्क में
रह रहकर वही वही
झटकों फिर आ जाता है
यह यादें बडी जिद्दी होती है
पीछा नहीं छोड़ती
समय बदल जाता है
परिस्थितियां बदल जाती है
याद वही की वही रहती है
पल पल याद दिलाती रहती है
मुक्त नहीं करती मरते दम तक
वह भी कोई एक - दो नहीं
पूरा कारंवा लेकर चलती है
हर पड़ाव पर एक नयी जुड़ती जाती है
हम भी उसका पुलिंदा बना कर रखते हैं
समय-समय पर खोलते हैं
ताजा करते जाते हैं
भूलते नहीं है
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Sunday, 7 February 2021
भूलते नहीं हैं
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