Wednesday, 24 February 2021

अब बचा नहीं है दम

बहुत कुछ देखा है
सहा है
अनुभव किया है
क्या जज्बा था
सब हंसते - हंसते हो जाता था
एक पल घबरा जाते थे
फिर सब ठीक हो जाता था
कमर कसकर खडे हो जाते थे
न जाने कितने वसंत और पतझड़
आए और गए
हम खिलखिलाते रहें
मुस्कराते रहें
चेहरे पर शिकन न आने दी
मन के दर्द को बाहर न आने दिया
मौसम बदल गया है
अब तो लगता है
क्या वाकई यह सब हमने किया
इन परिस्थितियों का सामना किया
अब ऐसा क्यों लगता है
कि अब हममें वह बात नहीं रही
उम्र बढ रही है
सब कुछ बदल रहा है
वह जोश वह उत्साह
अब बचा नहीं
शरीर कमजोर पड रहा है
मन भी घबराता है
जो कर लिया वह कर लिया
जो सही लिया वह सह लिया
बस अब और नहीं
अब बचा नहीं है दम

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