बहुत कुछ देखा है
सहा है
अनुभव किया है
क्या जज्बा था
सब हंसते - हंसते हो जाता था
एक पल घबरा जाते थे
फिर सब ठीक हो जाता था
कमर कसकर खडे हो जाते थे
न जाने कितने वसंत और पतझड़
आए और गए
हम खिलखिलाते रहें
मुस्कराते रहें
चेहरे पर शिकन न आने दी
मन के दर्द को बाहर न आने दिया
मौसम बदल गया है
अब तो लगता है
क्या वाकई यह सब हमने किया
इन परिस्थितियों का सामना किया
अब ऐसा क्यों लगता है
कि अब हममें वह बात नहीं रही
उम्र बढ रही है
सब कुछ बदल रहा है
वह जोश वह उत्साह
अब बचा नहीं
शरीर कमजोर पड रहा है
मन भी घबराता है
जो कर लिया वह कर लिया
जो सही लिया वह सह लिया
बस अब और नहीं
अब बचा नहीं है दम
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 24 February 2021
अब बचा नहीं है दम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment