Tuesday, 16 February 2021

कलम स्वतंत्रता चाहती है

कलम जब चलती है
तब वह बंधन में नहीं बंधना चाहती
स्वतंत्रता चाहती है
यह रचनाकार पर है
वह अपनी लेखनी कैसे चलाता है
बंध कर
किसी के दवाब में
स्वतंत्र
स्वतंत्र तो हो पर स्वच्छंद न हो
लगाम लगाना आवश्यक है
अनुशासित रहना जरूरी है
बंधन नहीं
न किसी के इशारों पर
तब जब वह चलती है
तब तहलका मचा देती है
बडे बडो को झुका देती है
कलम तलवार से ज्यादा पावरफुल
उसे आजादी पसंद है
गुलामी नहीं
वह दरबारी नहीं बनना चाहती
रचनाकार स्वतंत्र हो
यह प्रजातंत्र की सबसे बडी मांग है
अगर लेखनी दबी
तब वह विस्फोटक हो सकती है
बम फूटने की आवाज से कहीं ज्यादा गूंज
उसकी सुनाई देती है

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