कितनी सुंदर मूर्ति है
कलाकार की कला का कमाल
उसके पीछे न जाने क्या - क्या छिपा है
उसके ऊपर न जाने कितनी चोट पडी होंगी
छेनी और हथौड़ा चलता है
तराशा जाता है
तब जाकर कहीं यह सुंदर बनती है
जीवन भी तो ऐसा ही है
संघर्षों को झेलना पडता है
न जाने कितनी बाधाएं आती है
न जाने कितनी मुश्किल आती है
सबका सामना करते हुए आगे बढना
आग में तप कर कुंदन बनना
तब जाकर व्यक्तित्व निखरता है
देखने वाले शायद यह नहीं देख पाते
वह तो आज देखते हैं
इस आज के पीछे एक कल होता है
जहाँ से पार होकर आज यहाँ पहुँचा है
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