Friday, 5 March 2021

वह किताब है मेरी साथी

वह मेरी सबसे अच्छी साथी
वह मुझसे बात करती है
कुछ कहती है
कुछ सुनती है
जब अकेले रहती हूँ तब भी अकेलापन नहीं लगता
साथ रखकर सोती हूँ
अपने आस-पास ही रखती हूँ
कभी जी घबराता है
तब कुछ पन्ने खोलकर पढ लेती हूँ
मन को सुकून मिलता है
कभी-कभी उसकी कुछ बातें अपनी सी लगती है
कुछ कहानी अपने जीवन की लगती है
वे पात्र अपने से लगते हैं
कुछ से दोस्ती हो जाती है
कुछ से प्रेम

यह हमें भूत के बारे में बताती है
हमारे पूर्वजों से हमारी भेंट कराती है
हमें भूगोल और इतिहास समझाती है
विज्ञान और गणित समझाती है
कहानी और उपन्यास पढना सिखाती है
भावनाओं से खेलना सिखाती है
शब्दों की संरचना सिखाती है
भाषा से जोडती है
सारे विश्व के दृष्टिकोण को समझाती है
किताबें बहुत अच्छी गुरू होती है
न जाने क्या-क्या समाएं
यह जीवन रहस्य से परिचय कराती है
युग कोई भी हो
कितना भी प्रगति कर ले जमाना
तब भी किताब की जगह तो कोई नहीं ले सकता ।

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