आज चेहरे पर हाथ फेरा
चेहरा खुरदरा सा लगा
सोचा कुछ लग गया है
शीशे में देखा तो झुर्रिया
बालों में पहले ही सफेदी
चलने में भी लाचार
लगा कितना परिवर्तन
सब बदलता रहता है
जिस शरीर पर नाज था
वह दिन प्रतिदिन क्षीण होता जा रहा
आगे क्या होगा
यह तो कोई नहीं जानता
सब बदला पर कुछ कुछ नहीं बदला
वह था तुम्हारा प्यार
तुम्हें तो आज भी मैं वैसी ही लगती हूँ
कोई फर्क नहीं पड़ता
आज भी वही हो जो बरसों पहले थे
परिवर्तन तो तुममें भी
बालों में सफेदी
दांतों का टूटना
पहले जैसा जोश नहीं
क्रोध भी कम पड रहा
पहले मेरी बातों को नहीं सुनते थे
अब तो मेरे ही इर्द-गिर्द
साथी छूट रहें
अब तो मैं और तुम एक ही धरातल पर खडे
तुम्हें मेरी और मुझे तुम्हारी जरूरत
सब बदल गया है
रिश्ते - नाते अपने मे मशगूल
रह गए हम और तुम ।
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