बाबा रामदेव को जब शुरू शुरू में देखा था तब वह कुछ ठीक नहीं लगें । उनका आधा कपडा ,एक झपकती हुई ऑख ,हंसते हुए दांत देखकर ।लगता था यह क्या बंदर सा उछल - कूद कर रहा है ।कैसा महात्मा है ।ढोंगी दिखता है ।मंच से औरतों का सूट पहनकर भागने वाला ।
जैसे-जैसे समय बीता यह धारणा बदलती गई।
महसूस होने लगा कि यह बाबा दूसरे बाबाओं की तरह केवल प्रवचन देने वाला ,नाचने वाला अपने को भगवान और महान बताने वाले बाबा नहीं हैं ।ये तो कर्मनिष्ठ बाबा हैं । योग सिखाने योग गुरु । धीरे-धीरे टेलीविजन पर देखना अच्छा लगने लगा ।रूचि बढती गई। अब आदर निर्माण होने लगा था धीरे-धीरे।
योग सिखाते हैं । लोगों को ठीक करते हैं। आयुर्वेद का प्रचार कर रहे हैं ।करोडों का टर्न ओवर
विदेशी कंपनियों को मात दे रहे हैं
स्वदेशी अपनाने का आग्रह कर रहे हैं
लाखों को रोजगार दे रहे हैं
देश का पैसा देश में
विकास में योगदान
अब लगता है यह बाबा एकदम सही हैं
और भी बाबाओं को बाबा रामदेव की राह पर चलना चाहिए
टेलीविजन चैनलों से लेकर हर घर में छा गये हैं
वह भी प्रवचन से नहीं कर्तव्य से ।
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Friday, 28 May 2021
बाबा रामदेव
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment