Wednesday, 12 May 2021

जीवन एक समुंदर

उतरना तो पडता है
जीवन रूपी  समुंदर  में
अथाह है उसकी थाह नहीं
कुछ  ठिकाना नहीं
कब झंझावात  आएगा
कब तूफानी लहरे उठेगी
छिन्न-भिन्न  कर  जाएंगी
सुनामी  कभी भी आ सकती है
ज्वार - भाटा भी आता ही रहता है

फिर भी बैठ रहने से काम  नहीं  चल सकता
गहराइयों  में  उतरेगे तभी तो कुछ  हासिल  होगा
मोती - माणिक्य या सीप - पत्थर
विष मिलेगा  या अमृत
भंवर मे  फंस जाएंगे या किनारे लग जाएंगे
कर्म रूपी रस्सी से मथना  पडता है

उतरने पर न जाने  कितने जीवों  से पाला पडे
कुछ  सहज कुछ  खतरनाक
बडे बडे चट्टानों  से  टकराना  पड सकता  है
हो सकता है कुछ  घाव लग जाएं
कुछ  हानि  हो  जाएं
इस डर से तो चुपचाप  बैठे  नहीं  रह सकते
मोती  न हासिल हो पत्थर ही सही
अमृत  न सही विष ही सही
डूब  जाएं  या उतर आए
यह तो हमारे वश में  नहीं
पर हिम्मत  कर उतर जाएं
जो होगा वह होगा
तब कुछ  सार्थक  अन्यथा  बेकार
कबीर  का दोहा
जिन खोजा तिन पाइया
      गहरे पानी पैठ
मैं  बपूरा बूडन  डरा
         रहा किनारे बैठ

No comments:

Post a Comment