Thursday, 3 June 2021

चिडियाँ

सुबह सुबह  चिडियाँ  बोली
ची ची ची ची
सोना था हमको
पर यह कहाँ  मानने वाली
अपनी आदत से बाज आने वाली
है छोटी सी
चिचियाती है तेज सी
सुबह- सुबह  ही उठती है
इधर उधर डोलती हैं
खूब आवाज  करती है
जिद्दी  है
आखिर  सबको जगा कर ही मानती  है
कोई सोता
यह इनको नहीं  भाता
सुबह सुबह  ही आती हैं
यहाँ  वहाँ  और पेडो  पर बैठ चहचहाती  है
खुशी में  डोलती है
सुरीली संगीत छेडती  हैं
अन्न  का  दाना मिलता
उसको चोंच  में  उठा फुर्र से उड जाती है।

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