औरत केवल औरत ही नहीं होती
वह माँ होती है
बहन होती है
पत्नी होती है
दोस्त होती है
प्यार से लबालब होती है
बिन मांगे बहुत कुछ दे जाती है
सारी जिंदगी खाना बनाती है
घर संभालती है
दुनियादारी निभाती है
सारा दारोमदार अपने कोमल कंधों पर लेकर चलती है
कोमलता और कठोरता का मिश्रण होती है
वह अपने लिए नहीं दूसरों के लिए सब करती है
त्याग कर
अपने पीछे रहकर
अपनों को आगे बढता देख खुश होती है
हमेशा ऑखों में ऑसू भरी होती है
यह खुशी और दुख दोनों के हो सकते हैं
इसका सबसे बडा अस्र- शस्त्र भी यही हैं
सबकुछ उलट - पलट कर सकती है
यह चाहे तो महाभारत
यह चाहे तो रामायण
बहुत जटिल पहेली है यह औरत
इसको समझना इतना आसान नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Friday, 30 July 2021
औरत को समझना इतना आसान नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment