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Sunday, 1 August 2021
लानत है ऐसे समाज पर
बेटी केवल चूल्हे जलाने वाली लकड़ी का ही बोझ नहीं उठाती है
वह देश को मेडल दिलाने का भी बोझ उठाती है
वह केवल भक्ति और प्रेम में पगी कान्हा की दीवानी मीराबाई ही नहीं
देशभक्ति से ओतप्रोत मीराबाई चानू भी हो सकती है
घर ही नहीं चलाती अब
विमान भी चलाती है
केवल गोल - गोल रोटी ही नहीं बनाती
अपने को इस काबिल बनाती है कि सब उसके इर्द गिर्द घूमे
अब वह घूंघट में ही नहीं
मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में स्वीमिंग सूट पहनती है
हाफ पैंट पहन कर दौड़ लगाती है
परिवार के साथ देश का नाम भी ऊंचा करती है
वह तो बदल गई
पर लोगों की मानसिकता कब बदलेंगी
समाज की सोच कब बदलेंगी
अभी भी गर्भ में मारना
दहेज की मांग करना
लडका - लडकी में भेदभाव करना
वह बदस्तूर जारी है
वह कैसे सिद्ध करें कि वह लडको से कम नहीं
सब कुछ तो कर रही है
हर फील्ड में परचम फहरा रही है
हल्के से हल्का
भारी से भारी
हर काम कर रही है
कोमलता से ऊपर उठ रही है
फिर भी अगर लडकी होने पर
यह कहा जाएं
कि लडकी हुई है
उदासी ओढकर
मुंह बनाकर
तब तो लानत है
ऐसे समाज पर
उसकी सोच पर
Asha Singh at 08:38
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आवाज दे दो जब चाहे तब
तुमसे पहले उसकी ऑखों में ऑसू आ जाएं
तुम्हारी खुशी से पहले उसका मन प्रफुल्लित हो उठे
तुम्हें देखकर उसकी बांछे खिल उठे
वही तो दोस्त होता है यार
एक घटना है
किसी दोस्त का घर जल गया
दूसरा दोस्त देखने आया
तो उससे कहा
मैं तो खत्म हो गया
बरबाद हो गया
दोस्त ने पूछा
तुझे तो कुछ नहीं हुआ है
तब सब कुछ सही सलामत है मेरे यार
Happy friendship day
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