सबकी पसंद का ख्याल रखते रखते
मैं कहीं खो गई थी
स्वयं को भूल गयी थी
दिल बेचारा मायूस रहता था
क्योंकि मैं उसकी कभी नहीं सुनती थी
दुखी रहती थी
व्यथित रहती थी
जिसका कि किसी पर असर नहीं
हाँ सेहत पर जरूर असर
बहुत तडपाया
बहुत तरसाया
स्वयं को गफलत में रखा
अपने को महत्वपूर्ण समझ रही थी
आज समझ आया
यह सब कोरी कल्पना थी
तुमको तो कोई दाद भी नहीं देता था
तुम अपने आप मिया मिठ्ठू बनो
तब कोई क्या करें
अब लगता है
कुछ दिन अपने लिए जी लूँ
जो बाकी की जिंदगी है
उसे तनावमुक्त कर दूं
जिंदगी को सुकून दे दूँ
बहुत शिकायत है उसको मुझसे
कम से कम उसकी शिकायत दूर कर दूं
कुछ उसके लिए
कुछ अपने लिए ही सही जी तो लूं ।
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Wednesday, 25 August 2021
कुछ अपने लिए भी
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