करोना रे करोना
अब बस भी करो ना
कब तक जीना मुहाल करेंगा
जीवों पर प्रहार करेंगा
न जाने कितनों की रोजी-रोटी छीनी
न जाने कितनों की जिन्दगी छीनी
न जाने कितनों को अपनों से दूर किया
न जाने कितनी बार इंसानियत की धज्जियां उडाई
लोगों को दूर किया
दोस्ती को तोडा
रिश्तेदारी भी निभाने न दी
अपनों की खोज खबर न लेने दी
पडोसियों से दूर किया
एकदम अकेला कर दिया
सामाजिक प्राणी को स्वार्थी बना दिया
अपने ही लोगों को हाथ लगाने न दिया
अंतिम यात्रा में शामिल न होने दिया
शादी या दूसरे समारोहों में भी
न सुख में न दुख में
व्यक्ति को नितांत अकेला कर दिया
कौन अपना कौन पराया
यह पहचान भले ही करा दिया
पर दूर तो कर ही दिया न
न किसी पर विश्वास
सबको संदेह की दृष्टि से देखने पर मजबूर कर दिया
मुख पर मास्क लगाकर
हाथ में सेनेटाइजर लगाकर
कब तक चलेगा
बस कर
अब जा तू
हाय रे करोना
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 26 August 2021
करोना रे करोना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment