शून्य का एक अलग ही एहसास
अंकों के साथ जोड़ दो
कीमत बढ जाती है
भावना से जोड दो
तब महत्व कम हो जाता है
वह भावना शून्य है
बिना भावना तो मानव क्या पशु भी नहीं
शून्य , शून्य होता है
एक समय पर सब खत्म
बस शून्य ही रह जाता है
अंकों के आगे भी कितना शून्य
सौ , हजार ,लाख ,करोड ,अरब
कभी गिनती खत्म नहीं होती
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