वह चलती है
वह बोलती है
वह मुस्कराती है
मैं देखता रहता हूँ
स्तब्ध हो जाता हूँ
बोलना चाहता हूँ
कुछ बोल नहीं पाता
मुस्कान भी गायब
शब्द हीन हो जाता हूँ
मन में भाव भरे
पर भावों का इजहार नहीं कर पाता
बस ऑखों- ऑखों में बात हो जाती है
वह समझती है या नहीं
यह भी नहीं जानता
वह बस अच्छी लगती है
मन करता है
पास बैठे रहूँ
निहारता रहूँ
जागते - सोते बस उसका ख्याल
सपने में भी वही
मदहोशी छा जाती जब याद उसकी आती है
सामने रहूं तो होश ही खो देता हूँ
दिल के हाथों मजबूर हूँ ।
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Wednesday, 11 August 2021
वह बस अच्छी लगती है
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