वो कहता नहीं करता है
उसके पास शब्द भंडार नहीं होते
अभिनय कला में पारंगत नहीं होता
ऑखों में ऑंसू नहीं होते
वह गंभीर होता है
हंसता भी कभी-कभी है
वह मन की भाषा समझता है
भावनाओं से ओतप्रोत पर दिखाता नहीं
अपनों के लिए कुछ भी कर सकता है
वह अगर साथ में हो तो एक गुरूर होता है
सबसे बडा संबल
सबसे ज्यादा विश्वास
वह कभी तकलीफ नहीं होने देगा
मेहनत करता है
पत्नी को रानी बना कर रखता है
उसका बस चले तो वह आसमान के तारे तोड़ लाए
फूलों का गलीचा पैरों तले बिछा दे
वह कहता नहीं बस सुनता है
अपना सर्वस्व न्योछावर करता है
उसके पीछे-पीछे हो ले
तब जंगल में भी मंगल हो जाता है
घर , घर लगता है
वह मुखिया होता है
घर की जिम्मेदारी उठाता है
सबका ख्याल रखता है
वह पुरूष ही तो होता है
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Saturday, 7 August 2021
वह पुरूष ही तो होता है
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