Thursday, 23 September 2021

तभी तो जिंदगी

जिंदगी तू कब कब मुस्कराई
यह सब याद है
वह मुस्कुराहट भी याद है
वह खिलखिलाहट भी याद है
वह कहकहे भी याद है
वह शमा भी याद है
भूला तो कुछ भी नहीं
जब जब पीछे मुड़कर देखते हैं
वह मानसपटल पर अंकित हो जाते हैं
चित्रपट की तरह घूमने लगते हैं
वह लोग भी याद आते हैं
जो हमारे मुस्कराने की वजह थे
खिलखिलाने की  वजह थे
वह शमा भी अजीब थी
वह शाम भी निराले थे
वह सुबह भी सुहानी थी
वह रात भी चांदनीमय थी
वह बैठकें
वह गपशप
वाह वाह क्या बात थी
तभी तो कहते हैं
जिंदगी तू इतनी बुरी भी कभी नहीं रही
जैसा हम समझते रहें
कुछ बात तो थी तुममें
तभी तो आज भी हम तुमसे बंधे हैं।

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