जिंदगी तू इतनी कठोर क्यों है
न जाने बीच बीच में क्या कर देती है
वह भी उस समय
जब लगता है
अब तो सब ठीक है
जीवन पटरी पर चल रहा है
अचानक पटरी से उतर जाती है
हिचकोले खाने लगती है
विश्वास करू कैसे तुझ पर
तू न जाने कब दगा दे दे
जिंदगी हंसती हुई
कह उठी
परेशान न हो
मैं तो तुझे जीना सीखा रही थी
दुनिया से रूबरू करा रही थी
पथरीले राहों पर चलना सिखा रही थी
मैं तेरी हमसफर हूँ
सुख दुःख की साथी हूँ
कोई दुश्मनी नहीं है
मैं तो बस अपना कर्तव्य निभा रही हूँ।
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