Thursday, 23 September 2021

जिंदगी की गाड़ी

जिंदगी की गाड़ी चलती रही
हम हिचकोले खाते रहे
कभी ऊपर कभी नीचे
कभी दाएं कभी बाएं
गाडी भी रफ्तार में चलती रही
कभी थोड़ा धीमी जरूर हुई
रूकी बिल्कुल नहीं
हम जो ड्राइवर सीट पर बैठे थे
स्टीयरिंग हमारे हाथ में था
हार मानना हमने भी कहाँ सीखा था
चलते रहे चलते ही रहे
आज भी चल ही रहे हैं
चला भी रहे हैं
गंतव्य पर जब पहुंचेगे तब तक
रूकना हमने नहीं सीखा ।

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