तुम्हारे नाम का सिंदूर
तुम्हारे नाम की बिछिया
तुम्हारे नाम की बिंदिया
तुम्हारे नाम की चूडियां
तुम्हारे नाम का मंगल सूत्र
तुम्हारे नाम की पायल
सब धारण किया
यहाँ तक कि तुम्हारा नाम और सरनेम भी
इतना सब किया
तब तुमसे जुड़े
मैं तुम्हारी हुई
पर तुम क्या मेरे हुए
मैंने तो अपने को मिटाया
घर - परिवार और माँ- बाप छोड़ा
इच्छाओं को मारा
बस तुम्हारी इच्छा पूरी हो
तुम खुश रहो
घर में नित नए व्यंजन बनाना
सजना- संवरना
झाडू- पोछा और बरतन करना
बच्चों को संभालना
सब कुछ राजी - खुशी किया
बदले में मिला क्या ??
सोचती हूँ तब ऐसा लगता है
नाम तो तुम्हारा
उनके बच्चे
उनके घर
मेरा क्या
वहीं दिन - रात खटना
प्रशंसा के मीठे बोल के लिए तरस जाना
जो हालात तब थे वह अब भी
पहले तो तुम और तुम्हारा परिवार
अब तुम और तुम्हारे बच्चे
सबकी फरमाइश पूरी करते- करते उम्र गुजर गयी
न माया मिली न राम
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Friday, 24 September 2021
न माया मिली न राम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment