अलमारी भरी है कपडों से
वह जो कभी- कभार पहने जाते हैं
वह जो कुछ पहने ही नहीं गए
वह जो नापसंद है
तब भी उनको सहेज रखा है
मोह छूटता नहीं
किसी को दे नहीं सकते
महंगे जो हैं
नए जो हैं
अच्छी कंडीशन में हैं
तभी तो सहेजा है
पर उसका लाभ क्या
सालोसाल गुजरते जा रहे हैं
अलमारी में और भी कुछ जुड़ते जा रहे हैं
रिटायरमेंट हो गया है
न ज्यादा कहीं आना न जाना
तबियत गवाही नहीं देती
तब क्यों मोह
समय रहते ही बांट दो
किसी न किसी के काम आएगा
दुआएं मिलेंगी
आपका वह बिना काम का
किसी के खुशी के कारण बन सकता है
उसके तीज त्यौहार की रौनक बढा सकता है
आपके जाने के पश्चात भी उसकी चिंता
किसे दे क्या करें
पुरानी बेकार की यादें
पुराने बेकार के कपडे
पुराने बेकार का कबाड़ा
पुराने जंग लगे बेकार के संबंध
सबसे मुक्त हो जाएं
जो बची खुची जिंदगी है
उसे तो जी भर जी ले
अब नहीं तो कब ???
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Friday, 1 October 2021
अब नहीं तो फिर कब????
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