Wednesday, 20 October 2021

सफर लंबा हो गया है

वह रेलगाड़ी की यात्रा
तीन दिन का सफर
क्या लाजवाब होता था
अजनबी कब अपने हो जाते थे
पता ही न चलता था
खाना बाँट कर खाना
चाय के पैसे देना
सुराही भर कर पानी ले आना
सुख - दुख बाँटना
बच्चों को गोद में लेकर बैठना
उनकी जिद पूरी करने के लिए अपनी खिड़की वाली सीट दे देना
बाथरूम जाते समय या सोते समय नजर रखने को कहना
यहाँ तक कि टी सी और अन्य कर्मचारियों से भी मेल - मिलाप
सामान चढाने और उतारने में मदद करना
जाते - जाते हाथ मिलाकर जाना
कभी-कभी अपना पता भी दे जाना
हाथ ही नहीं तीन दिनों में दिल भी मिल जाते थे
क्या सफर आराम से बतियाते हुए कट जाता था

आज भी सफर करते हैं
पर वह पहले वाली बात नहीं
अब तो डर लगता है
किसी से बोलने - बतियाने में
कब कौन धोखा दे दे
पानी और चाय में कुछ मिला दे
लूट ले सब
सामान ले चंपत हो जाएं
घर से ही हिदायत
दूरी बना कर रखना
आज कल बहुत क्राइम हो रहे हैं
अब हर व्यक्ति शक की नजर से देखा जा रहा है
भले ही वह न हो

पहले तीन दिन में परिवार बन जाता था
दोस्ती हो जाती थी
आज तो नजरें भी नहीं मिलती
बात करना तो दूर
हर कोई अपने में
सफर तब छोटा पड जाता था
आज सफर लंबा हो गया है
तब दिन हंसते - बोलते गुजर जाते थे
और बरसों याद रहते थे
आज याद आने वाली कुछ बात नहीं

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