Friday, 31 December 2021

उल्टा चक्कर

अपने को भूल गया
लोगों के चक्कर में खुद का ही ख्याल न रखा
अपनापन निभाने के चक्कर में अपने को भूल गया
अपने व्यक्तित्व का ख्याल तक न रखा
आपने मन को मारता रहा रिश्तों को जीवित रखता रहा
लोगों से प्यार किया
सबको स्नेह और आदर दिया
दिल रोता रहा मैं हंसता रहा
दिखाता रहा
सब कुछ ठीक-ठाक है
कोई बात नहीं है
सबने यही समझा
खुद को भी छला
दूसरों को भी बहकाया
तभी तो लोग कहने लगे
आपका क्या है
आपको किस बात की परेशानी
उन्हीं लोगों को अब मैं खटकने लगा
जलन और ईष्या होने लगी
अब ऐसा लगता है
अगर तुम खुश तो सभी को दुख
तुम्हारे दुखी में सब सहभागी
सुख में कोई नहीं
यही उल्टा चक्कर है
इस दुनिया का

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