भारत की वो आन थे
भारत की वो बान थे
भारत की वो शान थे
जब गिरे होगे वे धरती पर
तब धरती माता भी रोईं होगी
वह चट्टान भी कोमल हो गया होगा
जब उससे हमारे जवान टकराए होगे
वह बादल भी पछताया होगा
प्रकृति भी जार जार रोयी होगी
वतन पर मिटना तो था उनको
इस तरह धुंध में नहीं
धोखे में नहीं
क्या हुआ
क्यों हुआ
कैसे हुआ
इसका कारण तो ढूंढना ही है
बलिदानी मारे गए
धुधंलके के कारण
प्रकृति भी पछता रही होगी
यह क्या हुआ
भारत माता अपने सपूतों की मृत्यु का हिसाब मांग रही होगी
जिसका उत्तर किसी के पास नहीं
सब निशब्द हैं
अवसाद ग्रस्त हैं
एक साथ इतने लालों को खोया है
उसकी क्षतिपूर्ति तो हो ही नहीं सकती।
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Friday, 10 December 2021
हमारे वीर जवान
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