Wednesday, 22 December 2021

हाँ मैं हिंदू हूँ

हाँ मैं हिंदू हूँ
इसका है अभिमान मुझे
सदियों से दबाया - कुचला गया
आंक्राताओ का अत्याचार सहता रहा
तब भी मैं अपने धर्म पर कायम रहा
हमारे मंदिर तोड़ दिए गए
हमें मारा- पीटा गया
अत्याचार किया गया
प्रलोभन दिया गया
तब भी मैं न डिगा
अपने धर्म पर अडिग रहा
किसी के झांसे में न आया
इसलिए तो हम आज भी जीवित है
हमारा धर्म स्वाभिमान से खडा है
उसने कभी किसी पर जबरदस्ती नहीं की
न काटा न मारा न सताया
न जबरन धर्म परिवर्तन कराया
न धोखे से न लालच से
सहनशीलता पर विश्वास किया
हम वे हैं  जहाँ हमारे प्रभु भी धरती पर आकर जन्म लिए
हर दुख - दर्द सहा
इंसान को एहसास कराया
कर्म का संदेश दिया
जैसा कर्म वैसा फल
यही तो हमारी गीता का ज्ञान
हम निराकारी भी है साकार के उपासक भी
आस्तिक भी है नास्तिक भी
मुर्ति की पूजा न करें
प्रकृति के हर कण-कण की पूजा करते हैं
नदी को माता मानते हैं
सूरज की उपासना करते हैं
पीपल के पेड़ को तो वासुदेव का निवास मानते है
यहाँ तक कि जहरीला सर्प भी शिवजी के गले में
मूषक भगवान गणेश का वाहन
कहीं भेदभाव नहीं
सबको समान
तभी तो आज हम टिके हैं
हम किसी धर्म का मजाक नहीं उडाते
सभी को  श्रद्धा से सर झुकाते हैं
हाँ अपने धर्म पर आंच आए
यह हम नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं
गर्व है अपने धर्म पर
गर्व है स्वयं पर
हाँ मैं हिंदू हूँ।

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