खुश रहो
तुम्हारी कमी अक्सर खलती है
तुम्हारे बिना घर भी सूना सूना सा लगता है
तुम्हारी आवाज सुनने को हम तरसते हैं
तुम्हें देखने को बेताब रहते हैं
तुम्हारे आने से घर में खुशियाँ छा जाती है
तब भी यह देखकर
मन निश्चिंत रहता है
तुम अपने घर में खुश हो
वह घर ही अब असली घर
ऐसा नहीं
इस घर से नाता खत्म
अधिकार है
अपनापन है
फिर भी
बेटियां ससुराल में ही अच्छी लगती है
पति के साथ ही शोभित होती है
उसका घर बस जाएं
अच्छा घर - वर मिल जाएं
बाल - बच्चों में व्यस्त रहें
रानी बनकर राज करें
हर माँ बाप की यही इच्छा
बेटी तुम जहाँ रहो
खुश रहो
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