कभी-कभी यह तेज हो जाती है
बोलते बोलते भान ही नहीं रहता
रौ में बह जाती हूँ
कुछ लोगों के कानों को यह चुभती है
नुक्स निकालने का एक बहाना मिल जाता है
धीरे और मीठा बोल कर किसी को अपशब्द तो नहीं कहती
झगड़ा तो नही करती
ताना तो नहीं मारती
तब क्यों प्रॉब्लम
यह बात दिगर है कि आप हमें पसंद नहीं करते
तब तो आपको हमारी हर आदत खराब लगेंगी
क्या करें
मजबूर हैं
दृष्टि दोष का ऑपरेशन हो सकता है
दृष्टिकोण का नहीं
यह बात दूसरों को नहीं
जो अपने हैं
अजीज हैं
उनको खनकती है
अब सावधान होकर बोलना
वह भी अपनों के सामने
वह तो सम्भव नहीं है
आपको ठीक लगें न लगें
मुझे मेरी आवाज से बहुत प्यार है
इसी के कारण
मेरी रोजी - रोटी चली है
समाज में मान - सम्मान है
अब उम्र हो गई है
बदल नहीं सकती
फिर यह कितने दिन साथ निभाएगी
एक दिन यह भी लडखडाएगी
अस्पष्ट हो जाएंगी
तब तो जब तक यह साथ निभा रही है
इसकी मेहरबानी
मैंने अपनी आवाज के बल पर
अपना असतित्व कायम रखा है
इसी के बल बूते पर घर चलाया है
बहुत मेहरबानी है इसकी
कोई साथ दे या न दे
यह हमेशा साथ निभाएगी
इतना विश्वास है
तभी तो यह मुझे बडी प्यारी है
इस पर रोक - टोक
वह मुझे पसंद नहीं
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